ब्रेकिंग-टाइप गुड न्यूज़ मूड: नौकरी देने वालों और नौकरी ढूंढने वालों, दोनों के लिए आज का दिन लड्डू जैसा मीठा! अगर आपकी कंपनी नए लोग भर्ती कर रही है—या आप खुद पहली बार फॉर्मल सेक्टर में कदम रख रहे हैं—तो सरकार अब हर नए कर्मचारी पर दो साल तक करीब 3,000 Rupees महीने की मदद दे रही है। हाँ, आपने सही पढ़ा। और यह कहानी शुरू हुई थी Atmanirbhar Bharat Rozgar Yojana (ABRY) से, जो कोविड-पीक के बाद रोजगार को फिर से ट्रैक पर लाने का बड़ा इंजेक्शन था। आज वही ‘रोज़गार बूस्टर’ नए रूप में और भी मसालेदार टॉपिंग के साथ सामने है। चलिए, आराम से पूरी प्लेटर समझते हैं: क्या बदला, कितना मिलेगा, किसे मिलेगा और HR दीदी-भैया इसे कैसे क्लेम करेंगे।
ABRY क्या थी और क्यों सब बोलते हैं कि ‘शुक्रिया, ये काम कर गई’
साल 2020 के आख़िरी महीनों में, जब ऑफिसों में सन्नाटा था, ABRY ने कंपनियों को कहा—“भर्ती करो, बोझ हम बांटेंगे।” सरकार ने EPFO के तहत दो साल तक भविष्य निधि (Provident Fund) का योगदान सब्सिडी के रूप में दिया। छोटे-मध्यम प्रतिष्ठानों (जहाँ कुल कर्मचारियों की संख्या लगभग 1,000 तक हो) के लिए सरकार ने कर्मचारी का 12% + नियोक्ता का 12% = 24% तक का योगदान वहन किया। बड़े प्रतिष्ठानों में कम से कम कर्मचारी हिस्से का 12% कवर हुआ। वेतन सीमा लगभग 15,000 Rupees महीना रखी गई थी।
सरल हिंदी में—अगर किसी नए कर्मचारी का PF-वेज 15,000 Rupees माना जाए, तो 24% की सब्सिडी लगभग 3,600 Rupees महीने तक जाती थी। सही है, आपके दिमाग में वही घंटी बजी—यहीं से ‘3,000 Rupees’ वाली चर्चा आम बोलचाल में उतरआई। असल में रकम कर्मचारी के PF-वेज पर निर्भर होती थी, कोई फ्लैट राशी नहीं।
अब क्या नया: 2 साल तक हर नए कर्मचारी पर ~3,000 Rupees मदद का ‘टर्बो’ वर्ज़न
पोस्ट-कोविड इकोनॉमी अब तेज़ी पकड़ रही है, लेकिन युवाओं—खासकर पहली बार नौकरी जॉइन करने वालों—के लिए फॉर्मल सेक्टर में प्रवेश अभी भी ‘पहली सीढ़ी’ वाली टफ फीलिंग देता है। इसी गैप को भरने के लिए सरकार ने नई रोज़गार प्रोत्साहन अप्रोच अपनाई है, जिसमें—
- नए कर्मचारियों पर नियोक्ता को दो साल तक प्रति माह लगभग 3,000 Rupees तक इंसेंटिव दिया जा सकता है, ताकि हायरिंग का ‘कॉस्ट-शॉक’ कम लगे।
- पहली बार फॉर्मल नौकरी जॉइन करने वाले युवाओं के लिए एकमुश्त लाभ (वन-टाइम सपोर्ट) का प्रावधान भी जोड़ा गया है, जिससे जॉइनिंग का शुरुआती महीना ‘थोड़ा हेलमेट, थोड़ा सीटबेल्ट’ मिल जाए।
यह मॉडल ABRY की PF-आधारित रीढ़ पर ही खड़ा है—लेकिन ट्विस्ट यह है कि अब मकसद सिर्फ नई नौकरी बनाना नहीं, फॉर्मलाइजेशन को भी तेज़ करना है। कॉलेज से निकले फ्रेशर्स, स्किल ट्रेनिंग करके निकले युवाओं, और घर से दोबारा करियर शुरू करने वाली महिलाओं के लिए यह सटीक मौके जैसा है।
“3,000 Rupees हर महीने” का असल मतलब: Myth vs Math
सीधे-सपाट शब्दों में—यह कोई ‘एक ही फिक्स राशी’ नहीं जो सबको मिलेगी। रकम की कैलकुलेशन EPFO वेज, कर्मचारी की सैलरी-ब्रैकेट और स्कीम-गाइडलाइंस पर निर्भर करेगी। असल दुनिया में यही होता है—किसी को 2,400 Rupees के आसपास मिलता है, किसी को 3,000 Rupees तक, तो किसी का हिसाब थोड़ा कम-ज्यादा।
चलिए, तीन झटपट उदाहरण देखिए:
- उदाहरण-1 (टेक सर्विस फर्म): पूजा को 14,000 Rupees मासिक वेज ऑफर हुआ। PF बेस 14,000 मानें, तो 24% होता है 3,360 Rupees—लेकिन स्कीम-कैप और पात्रता नियमों की वजह से मान लीजिए नियोक्ता को लगभग 3,000 Rupees तक का इंसेंटिव क्रेडिट मिलता है। दो साल में यह 72,000 Rupees के करीब का सीधा फायदा!
- उदाहरण-2 (मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट): रवि को 12,500 Rupees बेस मिले। 24% = 3,000 Rupees। दो साल = लगभग 72,000 Rupees। इसके अलावा, अगर रवि पहली बार फॉर्मल सेक्टर में है, तो उसे एकमुश्त जॉइनिंग-बूस्ट भी मिल सकता है—यानी ‘सेल्फी मोमेंट’।
- उदाहरण-3 (रेस्टोरेंट/रिटेल): श्वेता को 10,000 Rupees PF-बेस पर लाया गया। 24% = 2,400 Rupees। दो साल = 57,600 Rupees के आसपास। टीम-बिल्डिंग में यह बहुत बड़ी बात है, क्योंकि एफएमसीजी/रिटेल में टर्नओवर हाई रहता है और हायरिंग-कॉस्ट सबको चुभती है।
Note: ऊपर की गणनाएँ समझाने के लिए हैं। असली क्रेडिट-राशि उस समय लागू सटीक नियमों, कैप्स और प्रक्रिया पर निर्भर करेगी। HRs को EPFO/स्कीम पोर्टल के लेटेस्ट FAQ/गाइडलाइन ज़रूर चेक करनी चाहिए।
किसे मिलेगा फायदा: Eligibility को WhatsApp-स्टाइल शॉर्ट में समझिए
- नया कर्मचारी—जो पहली बार EPFO में UAN से जुड़ रहा हो, या फिर कोविड/बाद के समय में नौकरी खोकर अब दोबारा फॉर्मल सेक्टर में आ रहा हो।
- नियोक्ता—EPFO-रजिस्टर्ड, नियमित रिटर्न भरने वाला, और स्कीम की शर्तें (जैसे पिछले महीने/वर्ष की नेट-इंक्रीमेंटल हायरिंग) पूरी करने वाला प्रतिष्ठान।
- वेतन सीमा—आमतौर पर 15,000 Rupees मासिक PF-वेज सीमा के आधार पर लाभ तय होता है। अगर आपका CTC इसके ऊपर है, तो भी PF-वेज कैलकुलेशन अलग से हो सकता है—HR टीम आपकी पर्ची से समझा देगी।
- समय-सीमा—भर्ती और पंजीयन एक निर्धारित विंडो में होना चाहिए, ताकि दो साल तक का लाभ लॉक हो सके। यानी देर न करें—“पहले आओ, पहले पाओ” वाली फील।
ABRY vs ‘नया रोज़गार बूस्टर’: क्या बदला?
ABRY ने PF-सब्सिडी बतौर सबसे बड़ा हुक दिया था—दो साल तक 24% तक, जिससे नियोक्ताओं का कैश-आउट घटे और वे नई भर्तियाँ करें। नया रोज़गार बूस्टर इस रीढ़ को रखते हुए दो नए एंगल लाता है:
- टारगेटेड मासिक इंसेंटिव—सीधे-सीधे प्रति कर्मचारी प्रति माह एक परिभाषित सीमा तक सपोर्ट, ताकि HR प्लान बनाते समय एक्सेल शीट पहले से मुस्कुरा दे।
- पहली नौकरी वालों के लिए एकमुश्त सपोर्ट—जिससे युवा जॉइनिंग के पहले महीने में ही “भाई/दीदी, थोड़ा दम है जेब में” वाली आत्मविश्वास बूस्ट पा लें।
नीति-भाषा में इसे आप “हायर-टू-रिटेन” स्ट्रैटेजी भी कह सकते हैं—हायरिंग स्टार्ट करने में मानसक और वित्तीय दोनों बाधाएँ कम करो, ताकि कंपनियाँ डरने के बजाय बिंदास आगे बढ़ें।
HRs, अकाउंट्स और फाउंडर्स के लिए स्टेप-बाय-स्टेप गाइड
1) Eligibility चेकलिस्ट
- आपका प्रतिष्ठान EPFO के साथ रजिस्टर्ड हो और पिछले महीनों के रिटर्न/चालान समय पर भरे हों।
- जितने नए कर्मचारी जोड़ रहे हैं, उतनी नेट-इंक्रीमेंटल संख्या होनी चाहिए—यानि पुराने हटाकर नए जोड़ने को नेट-ग्रोथ नहीं मानेंगे।
- नए कर्मचारियों का PF-वेज स्कीम की सीमा के भीतर हो।
2) डॉक्यूमेंट्स रेडी रखिए
- कर्मचारी का Aadhaar, UAN (अगर पहली बार है तो UAN जेनरेट कराइए), बैंक डिटेल्स, जॉइनिंग लेटर, वेज ब्रेकअप।
- कंपनी के रजिस्ट्रेशन दस्तावेज़, पिछले महीनों का वेतन और EPF रिटर्न डेटा।
3) पोर्टल पर प्रोसेस
- EPFO यूनिफाइड पोर्टल में लॉगिन करके स्कीम-लिंक/मॉड्यूल पर जाएँ।
- नए जॉइनर्स को ‘स्कीम बेनिफिट’ के लिए टैग करें, आवश्यक घोषणा अपलोड करें।
- मासिक ECR (Electronic Challan-cum-Return) भरते वक़्त संबंधित codes चुनें—यहीं से क्रेडिट प्रोसेस ट्रिगर होगा।
4) कॉमन गलतियाँ जिनसे बचें
- जॉइनिंग डेट्स में गैप और डुप्लीकेट UAN—EPFO को सब दिखता है, इसलिए क्लीन डेटा रखें।
- CTC और PF-वेज में कन्फ्यूज़न—PF-वेज आलू-टमाटर नहीं है, इसका अपना ग्राम/Gram और किलोग्राम/Kilos मैच करना पड़ता है; HR-पे-रोल टीम पहले से फार्मूला फाइनल कर ले।
- समय-सीमा मिस करना—डेडलाइन निकल गई तो ‘सॉरी बोलlywood स्टाइल स्लो-मोशन’ ही बचेगा।
कौन-कौन से सेक्टर में सबसे बड़ा असर?
सच कहें तो हर सेक्टर जो एंट्री-लेवल भर्ती करता है, उसे फायदा। लेकिन कुछ क्षेत्रों में यह गोल्डन-टिकट जैसा है:
- टेक सपोर्ट, BPO, कस्टमर केयर—हायरिंग लहरें बनती-टूटती रहती हैं; लागत कम तो विस्तार आसान।
- टेक्सटाइल और परिधान—महिला भागीदारी बढ़ाने के लिए परफेक्ट कॉम्बो; ट्रेन्ड ऑपरेटरों की मांग हमेशा रहती है।
- फूड प्रोसेसिंग—मौसमी पीक में 200-300 लोगों की तेजी से ऑनबोर्डिंग; इंसेंटिव कैश-फ्लो में राहत देता है।
- कंस्ट्रक्शन और रियल एस्टेट—साइट-लेवल हायरिंग चक्रों में यह बड़ा बूस्ट, खासकर जब परियोजनाएँ back-to-back चलती हैं।
- रिटेल और हॉस्पिटैलिटी—हाई-एट्रिशन सेक्टर; 3,000 Rupees तक का बफर, ट्रेनिंग-लॉस का दर्द थोड़ा-सा कम कर देता है।
महिलाओं, युवाओं और टियर-2/3 शहरों के लिए क्यों सुपर-हिट?
सच बताइए, एक बार नौकरी छूट जाए तो दोबारा फॉर्मल सेक्टर में लौटना उतना ही मुश्किल लगता है जितना बिना प्रैक्टिस के गरबा राउंड जीतना। यह स्कीम कहती है—“आओ, स्टेज तैयार है।”
- महिलाएँ—ब्रेक के बाद रिटर्न कर रही हों, तो नियोक्ता को मासिक इंसेंटिव मिलने से ‘रिस्क-एवर्ज़न’ कम होता है। फ्लेक्सी-टाइम, डे-केयर जैसे फैसलों के लिए भी मैनेजमेंट को मनाना ज्यादा आसान होता है।
- फ्रेशर्स—पहली बार नौकरी में एकमुश्त सपोर्ट मनोबल बढ़ाता है। रिज्यूमे में “UAN एक्टिव” दिखते ही अगला इंटरव्यू भी स्मूथ हो जाता है।
- टियर-2/3 शहर—जहाँ एक-एक हजार Rupees भी फैमिली बजट में बड़ा फर्क लाता है, वहाँ यह मासिक सपोर्ट गंगाजल जैसा शुद्ध फील देता है।
सवाल जो सबसे ज़्यादा पूछे जाते हैं (और उनके सॉसदार जवाब)
Q1) क्या यह फिक्स 3,000 Rupees महीना है?
Answer: नहीं, यह ‘अप टू’ है—PF-वेज, कैप और स्कीम के नियमों पर निर्भर। कई मामलों में 2,400–3,000 Rupees रेंज में दिखेगा; कुछ में इससे थोड़ा अलग भी हो सकता है।
Q2) ABRY तो 2022 में बंद हो गई थी, फिर ये कैसे?
Answer: ABRY ने रास्ता बनाया—EPFO-आधारित सब्सिडी की रीढ़ जमाई। अब रोज़गार-प्रोत्साहन का नया संस्करण उसी सीख पर आगे बढ़ा है, जिसमें मासिक कैश-बैक जैसा स्ट्रक्चर और पहली नौकरी वालों के लिए एकमुश्त पुश भी जोड़ा गया है। आप इसे “ABRY 2.0 स्पिरिट” कह सकते हैं।
Q3) क्या कॉन्ट्रैक्ट/टेम्प स्टाफ को कवर मिलेगा?
Answer: अगर वे EPFO के तहत कवर हो रहे हैं, UAN है और वेतनों/रोज़गार शर्तें स्कीम नियमों में फिट हैं—तो हाँ, लाभ संभव। Agency-पेरोल और principal-employer का डेटा क्लीन होना चाहिए।
Q4) क्या पुराने कर्मचारियों पर भी मिलेगा?
Answer: यह इंक्रीमेंटल हायरिंग और पहली बार फॉर्मल जॉइन करने वालों पर केंद्रित है। पुराने कर्मचारियों पर नहीं। लेकिन अगर किसी की नौकरी छूट गई थी और अब फिर से फॉर्मल सेक्टर में आ रहा है—तो शर्तों के हिसाब से लाभ मिल सकता है।
Q5) रिफंड/क्रेडिट कैसे आएगा?
Answer: सामान्यतः यह EPFO/निर्धारित पोर्टल के माध्यम से ECR-लिंक्ड क्रेडिट/एडजस्टमेंट के रूप में आता है। हर महीने की फाइलिंग टाइम पर और सही कोडिंग बहुत जरूरी है।
लघु उद्योगों (MSMEs) के लिए ‘लाइफ-हैक’
अगर आपकी यूनिट में 25–250 लोगों की टीम है, कैश-फ्लो तंग रहता है, और हर हायर पर ट्रेनिंग का खर्चा आपको “उफ्फ” कहने पर मजबूर करता है—तो यह स्कीम गुलाबजामुन विद एक्स्ट्रा रबड़ी है। दो-तीन बैच में हायरिंग प्लान कीजिए: पहले माह 15 लोग, अगले माह 12, फिर 18—ताकि मासिक इंसेंटिव का क्यूम्युलेटिव असर बढ़े और आपकी वेतन-शीट बिन दहशत दिखे।
साथ ही, HR पॉलिसीज़ में हायर-टू-रिटेन का डिजाइन रखें—ऑनबोर्डिंग के पहले 30 दिनों में स्किलिंग माइक्रो-मॉड्यूल, 60वें दिन पर परफॉरमेंस-फीडबैक, 90वें दिन पर मेंटर्स-मीट। यह न सिर्फ एट्रिशन घटाता है, बल्कि स्कीम से मिलने वाले इंसेंटिव का असली फल भी देता है।
एक छोटी कहानी: ‘आरती का दूसरा मौका’
वाराणसी की आरती ने कोविड में अपनी होटल-जॉब खो दी। दो साल गैप के बाद, उसने एक फूड प्रोसेसिंग यूनिट में अप्लाई किया। नियोक्ता पहले हिचकिचाया—“ट्रेनिंग, शिफ्ट, PF—सब जोड़ो तो खर्चा बढ़ेगा।” HR ने स्कीम का कार्ड टेबल पर रखा—“मैडम, दो साल तक हर महीने 3,000 Rupees तक का सपोर्ट मिलेगा, ऊपर से वह पहली बार फॉर्मल रिटर्नी हैं तो…।” मालिक बोला—“तुरंत जॉइन करवाओ।” आरती आज सुपरवाइज़र है। उसके घर में अब हर त्योहार पर लड्डू आधा किलो नहीं, पूरा Kilo आता है।
जरा नंबरों का चश्मा लगाकर देखिए
मान लीजिए आपकी कंपनी अगले 12 महीनों में 100 नए लोगों को ऑनबोर्ड करती है। औसतन प्रति कर्मचारी 2,800 Rupees महीना इंसेंटिव मिलता है। तो:
- मासिक सपोर्ट = 100 x 2,800 = 2,80,000 Rupees
- वार्षिक सपोर्ट = 33,60,000 Rupees
- दो साल में = 67,20,000 Rupees
अब इसमें जोड़ दें—अगर 40–50 लोग पहली बार फॉर्मल सेक्टर में हैं, तो एकमुश्त सपोर्ट भी। कुल मिलाकर HR बजट को जो बूस्ट मिलता है, उससे आप बेहतर ट्रेनिंग-किट, हेल्थ-इंश्योरेंस टॉप-अप, या बस ऑफिस में वह चहकती कॉफी मशीन भी ला सकते हैं जिसकी खुशबू से सोमवार कम क्रूर लगता है।
डेटा, ट्रांसपेरेंसी और ‘डिजिटल इंडिया’ का तड़का
EPFO का डिजिटल बैकबोन अब काफी ट्यून हो चुका है—UAN जनरेशन से लेकर eKYC, बैंक-सीडिंग, और ECR फाइलिंग; सब कुछ ऐप/पोर्टल पर। हाँ, कभी-कभार सर्वर मूड ऑफ कर देता है, पर वह तो हमारा जमानाती दोस्त है—“रुक जा, अभी आते हैं” बोलकर लौट भी आता है। बस आप अपनी फाइलिंग टाइम-टेबल को फेस्टिव सीजन (दिवाली/ईद/क्रिसमस) और महीने की 10–15 तारीख की भीड़ से थोड़ा दूर रखें, तो काम मक्खन की तरह फिसलता है।
कानूनी-कॉम्प्लायंस: दो लाइनें, पर जरूरी
किसी भी सरकारी स्कीम में उद्देश्य साफ है—रोज़गार बढ़े, फॉर्मलाइजेशन हो। इसलिए आर्टिफिशियल चर्न (पुराने हटाओ, नए जोड़ो, नेट-ग्रोथ शून्य) पर शर्तें सख्त हैं। फर्जी डॉक्यूमेंट, बैकडेटिंग, या एक ही कर्मचारी को अलग-अलग UAN पर घुमा देने की कोशिश—ये सब नो-गो हैं। HR पॉलिसीज़ में यह क्लॉज लिखकर रखिए कि कोई भी compliance breach फायदे को खतरे में डाल सकता है।
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क्या यह ‘स्कॉलरशिप’ टाइप है? थोड़ा-सा, पर नहीं भी
कई पाठक पूछते हैं—“दीदी, यह स्कॉलरशिप है क्या?” जवाब—नहीं। यह रोज़गार प्रोत्साहन है—नियोक्ता और नए कर्मचारी, दोनों के लिए। हाँ, पहली बार फॉर्मल जॉइन करने वालों के लिए जो एकमुश्त सपोर्ट है, उसमें ‘स्कॉलरशिप-सी फील’ आ जाती है। पर रीढ़ वही है—EPFO और फॉर्मल जॉब।
बॉलीवुड-स्टाइल मोटिवेशनल स्पीच (लाइट-मूड में)
“तुम अगर हायर करोगे, तो सरकार साथ चलेगी”—कुछ-कुछ ऐसे। एचआर फ्रेंड्स, आपका एक ऑफर लेटर किसी घर में दीवाली-सी रौशनी कर देता है। और जब उस पर सरकार का 3,000 Rupees महीना जैसा बूस्ट भी बैठ जाए, तो वही घर EMI, स्कूल फीस, और सिलिंडर के Litre/Litres भरने में थोड़ा कम घबराता है।
अभी क्या करें? 7-स्टेप चेकलिस्ट
- वर्तमान स्कीम गाइडलाइंस और डेडलाइंस पढ़ें; HR और पेरोल टीम के साथ 30 मिनट की war room मीटिंग करें।
- अगले 6–9 महीनों की हायरिंग-रोडमैप बनाकर देखें—किस महीने कितने, किस वेज-बैंड में।
- UAN/eKYC की बाधाएँ पहले हफ्ते में साफ करें—कर्मचारियों को WhatsApp पर 3-पॉइंट लिस्ट भेजें: Aadhaar, बैंक, फोटो।
- ECR फाइलिंग कैलेंडर को स्कीम-कोडिंग के साथ सिंक करें।
- कर्मचारियों के ऑफर लेटर में संदर्भ-शर्त जोड़ें—माह/तारीख के आधार पर स्कीम बेनिफिट्स लागू होंगे।
- पहली बार नौकरी वालों के लिए onboarding day पर एक छोटा ‘फाइनेंस ओरिएंटेशन’ रखें—UAN, PF, इंश्योरेंस, सब समझा दें।
- हर तिमाही स्कीम-बेनिफिट डैशबोर्ड बनाइए—कितना क्रेडिट आया, कहाँ लीक हो रहा है, क्या सुधार करना है।
छोटी-सी सावधानी, बड़ा लाभ
हेडलाइन आकर्षक है—दो साल तक 3,000 Rupees हर नए कर्मचारी पर! पर याद रखिए, असली खेल डिटेल्स में है। कौन-सी तारीख को जॉइनिंग हुई, किस PF-बेस पर, कौन-सा फॉर्म समय पर फाइल हुआ—यह सब मनी-इन-या-मनी-आउट तय करता है। और हाँ, डेडलाइन मिस हो गई तो फिर वही पुराना डायलॉग—“कसम से, अगली बार टाइम पर आएँगे”—पर फायदा तो खो ही जाएगा।
निष्कर्ष: नौकरी बनाओ, ग्रोथ बढ़ाओ—और हाँ, खुशी बाँटो
Atmanirbhar Bharat Rozgar Yojana ने जो शुरुआत की थी, उसका नया अवतार अब और स्मार्ट, और ज्यादा टारगेटेड तरीके से मैदान में है। दो साल तक प्रति कर्मचारी लगभग 3,000 Rupees तक की मदद—सुनने में जितनी सिनेमैटिक लगती है, अमल में उससे ज्यादा असरदार है। बस एक काम कीजिए—आज ही HR टीम को टैग कीजिए, यह आर्टिकल शेयर कीजिए, और बोलिए: “कैलकुलेटर निकालो, हम हायरिंग बढ़ा रहे हैं!”
और अगर आप वह जॉब-सीकर हैं जो रोज़ाना पोर्टल्स खंगालते हैं—तो यह आपका सिग्नल है। UAN बनवाइए, डॉक्यूमेंट तैयार रखिए, और जब ऑफर आए तो मुस्कुराइए—क्योंकि इस बार आपके साथ सिर्फ कंपनी ही नहीं, सरकार भी खड़ी है।
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